भरोसा क्या है ?
एक पल
वह मन्दता भरा क्षण
जिसमें कोई अपने सभी कवच
उतार फेंकता है
अपनी सभी अरक्षितता को
किसी के समक्ष खोलता है
पर ऐसा कोई क्यों चाहता है ?
ऐसा मैं क्यों चाहता हूँ ?
क्या यह संभव है
बारम्बार प्रहार के बाद
भरोसा बनाये रखना
दिल में, दिमाग में और पीठ पीछे
उन से जिन्हें बेहद चाहा
पर ऐसा कोई क्यों चाहेगा ?
ऐसा मैं क्यों चाहता हूँ ?
क्या ऐसा संभव है
इस पृथ्वी पर कोई ऐसा एक
प्राणी हो जिस पर
जो भरोसे के काबिल हो
जो जीवन भर दूसरों की भांति
मेरे भरोसे का क़त्ल न करे
पर ऐसा कोई क्यों चाहेगा ?
ऐसा 'निर्जन'क्यों चाहता है ?