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Channel: तमाशा-ए-जिंदगी
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कौन निभाता किसका साथ

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कौन निभाता किसका साथ 
आती है रह-रह कर यह बात 

मर कर भी ना भूलें जो बातें 
कोई बंधा दे अब ऐसी आस 

गुज़रे लम्हों को लगे जिलाने  
रो रो दिनभर कर ली है रात

सूना यह दिल किसे पुकारे 
दया ना आती जिसको आज 

आना होता अब तो आ जाता 
अपनी कहने सुनने को पास 

कह देता इतना मत रो अब 
यह अपने आपस की बात 

झूठी हसरत सुला कब्र में 
सुबह हुई 'निर्जन'अब जाग 

आती है रह-रह कर यह बात 
कौन निभाता किसका साथ 

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