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Channel: तमाशा-ए-जिंदगी
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दिल का पैगाम

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उनकी आमद से हसरतों को, मिले नए आयाम
सोच रहा हूँ उनको भेजूं मैं, कैसे दिल का पैगाम

दिल दरिया है, रूप कमल है, सोच है आह्लम
हंसी ख़ियाबां, नज़र निगाहबां, ऐसी हैं ख़ानम
ख़ुदाई इबादत, इश्क़ की बरकत, जैसे हो ईमान
सोच रहा हूँ उनको भेजूं मैं, कैसे दिल का पैगाम

दिल अज़ीज़ है, अदा अदीवा है, मिजाज़ है शबनम
खून गरम है, बातें नरम हैं, शक्सियत में है बचपन
लड़ती रोज़ है, भिड़ती रोज़ है, जिरह उनका काम
सोच रहा हूँ उनको भेजूं मैं, कैसे दिल का पैगाम

जब से मिला हूँ, तब से खिला हूँ, बनते सारे काम
मुस्कुराहटें, सरसराहटें, रहती सुबहों और शाम
दुआ रब से, मांगी है कब से, मिल जाये ये ईनाम
सोच रहा है 'निर्जन'उनको दे, कैसे दिल का पैगाम

आमद : आने
आह्लम : कल्पनाशील
ख़ियाबां : फूलों की क्यारी
निगाहबां : देख भाल करने वाला
ख़ानुम(ख़ानम) : राजकुमारी
अज़ीज़ : प्रिय
अदा : श्रृंगार, सुन्दरता
अदीवा : लुभावनी
शबनम : ओस
जिरह : बहस

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