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Channel: तमाशा-ए-जिंदगी
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आवाज़ बुलंद अब करना है

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कमाल है धमाल है
लोकतंत्र बेमिसाल है
जनता का बुरा हाल है
ये सरकारी चाल है

भूखे गरीब मर रहे
धनवान तिजोरी भर रहे
महंगाई से लोग डर रहे
पप्पू मज़े हैं कर रहे

क़ुदरत भी आज ख़िलाफ़ है
कुकर्मों का अभिश्राप है
विपदा जो सर पर आई है
सरकार ही इसको लाई है

गिद्ध और बाज़ वो बन रहे
आसमान से दौरा कर रहे
लाशों के मंज़र देख रहे
चील सी आँखे सेंक रहे

प्रशासन बदहाल है
चांडालों की ढाल है
ज़ुल्मों से बेज़ार है
आम जनता ज़ार-ज़ार है

कुछ करोड़ हैं खर्च रहे
दिखावा चमचे कर रहे
मरने वाले हैं मर रहे
वो विदेशों में ऐश कर रहे

सवाल मेरा बस इतना है
घुट घुट कब तक मरना है?
कब तक हमको डरना है?
आज समय है हमको लड़ना है

आवाज़ बुलंद अब करना है...
आवाज़ बुलंद अब करना है...

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