ख़ुशी और सुख के
अनमोल खज़ाने
ले चल मुझको
वहां ठिकाने
जहाँ तेरा ही
बस डेरा हो
जहाँ आनंद ने
घेरा हो
तेरे उस
अथाह समुन्द्र में
क्या मैं
डूब ना जाऊंगा
उबरने की
कोई जगह ना हो
बस मुस्कानों में
डूबता जाऊंगा
ले चल मुझे
एक अनोखे जहाँ में
कपट, लोभ, नफरत से दूर
जहाँ तू भी अकेला है
यहाँ मैं भी अकेला हूँ
'निर्जन' मीत तू बन ऐसे
जैसे सागर में फेना है
ओ मेरे सुख
बस इस दिल में
एक तेरा ही बसेरा है
जीवन दुःख से मुक्त हो
आत्मा बंधन से रिक्त हो
एक ऐसे खुशहाल संसार में
जहाँ सिर्फ खुशियों का डेरा हो
ओ सुख के अनमोल खज़ाने
ले चल मुझको वहां ठिकाने