मशाल लिए हाथ में
हर एक खड़ा है
ये आम आदमी है
न छोटा है न बड़ा है
हल्का ही सही
तमाचा तो लगा है
चमचों की मुहीम पर
एक सांचा तो कसा है
मान लो गर गलती
तो छोड़ देंगे हम
जो करेंगे चापलूसी
उन्हें तोड़ देंगे हम
'स्वराज' है
हक हमारा
इसे ला कर रहेंगे
अपने विचारों को
अब खुलकर कहेंगे
दिलों में अपने
जोश अब
कम होने न पाए
आओ सब मिलकर
अब एक हो जाएँ
आवाज़ सबके
दिल से 'निर्जन'
उठती है यही
स्वराज है
स्वराज है
हाँ स्वराज है यही