$ 0 0 ओ रे मितवा, तू है मेरा रहबराबन रहा है, तुझसे मेरा राबतादिल से मेरे है अब, तेरा वास्तातू ही दिखा दे अब, आगे रास्तातू रहगुज़र-ए-दिल-ए-खुशखीरांलग रहा है तू ही, मेरा कहकशांखुदा हो रहा 'निर्जन'पर मेहरबांमिलते हैं उसकी रहमत से कद्रदां