सपने में मिलते हैं
वो एक सपना जो हमेशा से मेरी ज़िन्दगी के गुलदान को महकते गुलाबों से भर जाता है,"तुम मेरी बाहों में मेरे सिरहाने बगल में मेरे साथ लिपट कर साथ लेटी हो। मैं अपने गालों पर तुम्हारी साँसों की हरारत को महसूस...
View Articleफेसबुकिया आशिक़
कल एक फेसबुक मित्र के साथ एक ऐसी घटना घटी जिसके कारण मेरा दिल यह रचना लिखने के लिए विवश हो उठा। मैं पहले तो कुछ संजीदा और उपदेशात्मक बनाकर कहने की सोच रहा था क्योंकि मुद्दा बड़ा ही गंभीर था और नारी के...
View Articleशादी का चस्का
शादी के पंडाल में, दी हमने एंट्री मार देखा अपना यार तो, बैठा है पैर पसार बैठा है पैर पसार, दुल्हन से नैन लड़ाए साली देख क़रीब में, मंद मंद मुस्काएगुम हो गई मुस्कान, ज्यूं साडू जी आए बोले जीजा राम राम,...
View Articleमाई बैटर हाफ़ - वो कहाँ है ?
उसके हाथ अब पहले जैसे दोषरहित नहीं रहे। उसके नाख़ूनों की शेप भी पहले जैसी नहीं रही और उनकी चमक भी फीकी पड़ गई है। वो घिस चुके हैं, ऊपर से थोड़े झुर्रीदार, बेहद थके-थके और पुराने से लगने लगे हैं। उसके...
View Article"हम" - एक सूर्योदय
इस तेज़ी से विकसित होती संभ्रांत और शिष्टाचारी नस्ल में बहुत से ऐसे शब्द हैं जिन्हें रोज़मर्रा की बोलचाल वाली ज़िन्दगी में यदा-कदा ही तवज्जो मिलती होगी। ऐसे असंख्य वचनों की श्रृंखला में कुछ ऐसे भी होते...
View Articleउस रोज़
मुस्कुराते गुलाबों की महक वैसी ना होगीतेरी शोख हंसी की खनक वैसी ना होगीतितलियों जैसी शोख़ी तेरी वैसी ना होगीख्व़ाब लिए नैनों की चमक वैसी ना होगीतेरी मीठी बोली की चहक वैसी ना होगीअल्हड़ जवानी की छनक वैसी...
View Articleसज़ा
आज अपने दिल को सज़ा दी मैंने पुरानी हर याद-बात भुला दी मैंने बातें जिनपर वो खिलखिलाती थी ज़हन से अल्फ़ाज़ मिटा दिए मैंने बीता हर पल दफ़न कर दिया मैंने गुलदस्ता यादों का जला दिया मैंने दिल ये फिर खाख से आबाद...
View Articleसोशल मीडिया वाले आशिक़
विंडो-ए-चैट में, आया नया बनफूल है,हाय दिल मचल गया, तो मेरा क्या कुसूर है...या फिरमैं तेरा आशिक़ हूँ, तुझसे इश्क़ करना चाहता हूँ,फेसबुक पर आकर मैं, डूब मरना चाहता हूँ...या फिरहम तो चोंचबाज़ हैं, सदियों...
View Articleहुस्न-ए-मुजस्सम
हुस्न-ए-मुजस्सम बेमिसाल है, तेरी नज़रये दरिया-चेहरा बा-कमाल है, तेरी नज़रये ज़ुल्फ़ें लब-ओ-रुख़्सार है, तेरी नज़रबेनियाज़-ए-नाज़ वफ़ादार है, तेरी नज़र पैकर-ए-हुस्न-ओ-लताफ़त है, तेरी नज़र ख़ुदाया इज़हार-ए-अदावत...
View Articleदे देते
दिया पानी क्या आँखों का रवानी खून की देते दिलाती याद उम्र भर निशानी दो जून की देते जो देनी थी तो होठों की मुस्कराहट ही दे देतेकलाम-ए-पाक रच इश्क़ का तुम साथ दे देते कोई यादों की नज़्म लिख ज़ुल्फ़ में टांक...
View Articleअपना कहते मुझे हजारों में
जो वफ़ा होती खून के रिश्तों में बाक़ीतो जज़्बात क्यों बिकते बाज़ारों में जो हर कोई देता साथ ज़मानें में अपना तो तनहा चांद ना होता सितारों में जो हर गुल की ख़ुशबू लुभाती दिल को तो गुलाब ख़ास ना होता बहारों में...
View Articleवो झाँसी की रानी थी
बनारस में वो थी जन्मी, मनु सबकी दुलारी थी मोरपंत, मां भागीरथी की, एकमात्र दुलारी थी पिता छांव में बड़ी हुई, मां क्या है ना जानी थी वीरांगना बन जाने की, बचपन से ही ठानी थीहर कौशल में दक्ष रही, बहन नाना...
View Articleरहती है
लोग मिलते ही हैं औ महफ़िल भी जवां रहती हैवो साथ ना हो तो हुस्न-ए-शय में कमी रहती है ग़रचे ये नहीं है ख़ुशी मनाने का मौसम तो फिर जो ख़ुशी मनाऊं भी तो पलकों में नमी रहती है हर किसी दिल में उफ़नता नहीं...
View Articleये ज़रूरी तो नहीं
ज़िन्दगी रो रो के बसर हो ये ज़रूरी तो नहींआह का दिल पे असर हो ये ज़रूरी तो नहीं नींद बेपरवाह हो काँटों पर भी आ सकती हैमख़मली आग़ोश हो हासिल ये ज़रूरी तो नहींज़िन्दगी को खेल से ज्यादा कुछ समझा ही नहीं हर ग़म को...
View Articleकिसकी सदा है
किसकी सदा है, ये किसकी सदा गूंजती है मन में, ये झूमती है तन मेंभेदती है आत्मा, तोड़ती है चेतना धुआं धुआं कर, ह्रदय ये तप उठामीठा सा सन्नाटा, हर तरफ फूटतातन-मन दोनों में, संतुलन है टूटताअंतर्मन सब,...
View Articleतेरे इश्क़ में खो जाता हूँ
मैं महसूस करता हूँ तेरे हाथों को अपने हाथों में मैं महसूस करता हूँ तेरे बदन को मेरे बदन के पास मैं महसूस करता हूँ तेरे गुलाबी होठों अपने होठों पर मैं महसूस करता हूँ तेरी साँसों को अपनी साँसों में मैं...
View Articleपहला प्यार - ज़िन्दगी में कितना ख़ास
पहली नज़र पहली धड़कनपहला जज़्बातपहला एहसास ज़िन्दगी में कितना ख़ास पहली दफ़ापहला मौक़ा पहली कशिश पहला ख़यालज़िन्दगी में कितना ख़ास पहला प्यार पहली माशूकपहला परिचयपहली बात ज़िन्दगी में कितना ख़ास पहला ख़त पहला कार्ड...
View Articleयूं आशार बन जाते हैं
जब खून के रिश्ते ही दर्द पहुंचाते हैं तब दिल के ज़ख्म नासूर बन जाते हैं खून-ए-जिगर भी रोता है ज़ार-ज़ार रिसते खून से यूं आशार बन जाते हैं जब अपने ही एहसासहीन हो जाते हैं अपनों के दर्द से आँख मूँद कतराते...
View Articleएक सपना - एक एहसास
"तुम्हारे बेहद अदम्य, कोमल, नाज़ुक, मुलायम, नज़ाकत भरे हाथों के स्पर्श की छुअन बिलकुल वैसी है जैसी मैं हमेशा से चाहता था और जिनके लिए तरसता था। तुम बहुत ही शरारती इश्क़बाज़ हो और हमेशा मेरे साथ मीठी सी...
View Articleएक अधूरी प्रेम कहानी
उस रात बारिश में भीगती उस लड़की को देखा। देखने पर तो लगता था वो मुस्कुरा रही है पर सच यही था की वो दर्द था जो उसकी खूबसूरत आँखों से रिसता हुआ उसके गालों को और सुर्ख कर रहा था और फिर बारिश में पानी के...
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