ग़ज़ल
ग़ज़ल......................................................................................ये दुनिया के लोगों से, क्यों आस लगाए रहता हूँ अपनी मर्ज़ी का मालिक, मैं रौब जमाए रहता हूँ...
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ग़ज़ल ......................................................................................करते हैं इश्क़ मगर मेरा नाम नहीं लिख सकतेवो कौन हैं मेरे ये सर-ए-आम नहीं लिख सकते...
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ग़ज़ल -----------------------------------------------------------------------शब-ए-हिज्र तो किसी तौर गुज़र जाएगी रात गहरी है तेरी याद बहुत आएगी...
View Articleवो भी क्या दिन थे
एक पुराना क़िस्सा याद आ गया। ये मेरे स्कूल के दिनों की बात है। दिल वाले दुलहनिया ले जाएँगे रिलीज़ हुई थी। लड़के काजोल पर उन दिनों जान छिड़कते थे। हम भी उन में से एक थे। हाॅस्टल में रहा करते थे। अब...
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ग़ज़ल नौ-उम्र जज़्बात हैं जबीन-ए-पाक में बाला-तर जज़्बात हैं दिल-ए-बेबाक मेंफ़लक से देख क्यों बरस रहा है लहू?खूँ रोता है, क्या वहाँ अफ़्लाक में?आह! वस्ल-ए-यार किस सूरत करूँ?उम्र हो रही है ज़ाया इन...
View Articleग़ज़ल हो गई - तंज़-ओ-मज़ा
मुशायरा इक जोड़ा ग़ज़ल हो गईपेलम पेला निगोड़ा ग़ज़ल हो गई काहिल-ओ-जाहिल दिखें क़ाबिलकिताब ख़ुद ही छपाए ग़ज़ल हो गईकलजुग का खोता बन गया शायर रेंका ढेंचू-ढेंचू और ग़ज़ल हो गईलफ़्ज़ों को लपेटा जहाँ से...
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Pen - Pilot Animal Series Fine PointInk - Sulekha Turquoise Blueपेश-ए-ख़िदमत है मेरी एक संजीदा कोशिश। उम्मीद कर रहा हूँ आप सभी को पसंद आएगी। ग़लतियों के लिए मा'ज़रत। आप के तब्सिरा का इंतिज़ार...
View Articleग़ज़ल - श्रद्धान्जलि
ये ग़ज़ल उन दो चमत्कारी किरदारों के नाम जो अपने जाने के बाद एक बहुत बड़ा ख़ालीपन इस दुनिया में छोड़ गए जिसे भर पाना नामुमकिन है। मरहूम अज़ीम अदाकार ॠषि कपूर और इरफ़ान ख़ान को हम सब अपनी यादों में...
View Articleतालाबंदी की मधुशाला
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View Articleमाँ का दिन
कौन सी चीज़ है जो यहाँनहीं मिलती,सब कुछ मिलता है लेकिनमाँ नहीं मिलती,माँ ऐसी होती है दोस्तों जोज़िन्दगी में फ़िर नहीं मिलती,ख़ुश रखा करो उस माँ कोफ़िर देखो जन्नत कहाँ नहीं मिलती...अम्मी जान का दिन...
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ग़ज़ल------होगी कब ख़त्म वबा* अब ये सवाल अच्छा हैइक बिरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है //१*महामारी--------सभी के चेहरों पे इज़हार न हाल अच्छा हैइक बिरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है //२--------हनूज़*...
View Articleअनुज कुमार विश्नोई - एक शातिर ठग, जालसाज़, धोखेबाज़ और बेईमान अपराधी
यह दास्तान मैं अपनी आपबीती के आधार पर लिख रहा हूँ। इस शख़्स ने मुझसे और मेरे पिताजी से कई लाख रुपये उधार ले रखे हैं और आज तक़रीबन दस सालों के बाद भी ब्याज तो छोड़िये असल की रकम वापस नहीं आई है। अब हालत यह...
View Articleअर्ज़ किया है
अबस बैठना बन गया अफ़सुर्दा होने का सबब 'निर्जन'क़िस्मत भी कितनी बेरहम है इसने कहाँ लाकर पटका अबस = बेकार अफ़सुर्दा = उदासी#yqdidi #निर्जन #तुषाररस्तोगी #तमाशा_ए_ज़िंदगी #किस्मत #बेरहम #अफ़सुर्दा Follow...
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